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वैदिक ज्योतिष में केतु को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ज्योतिष में केतु ग्रह को अशुभ माना जाता है। हालांकि केतु द्वारा व्यक्ति को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त नहीं होते हैं। केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। केतु के खराब होने से कई तरह के रोग उत्पन्न होते हैं केतु ग्रह कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। केतु के पीड़ित होने से जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति के सामने अचानक कोई न कोई बाधा आ जाती है यदि किसी जातक की कुंडली में केतु तीसरे, पांचवें, छठवें, नवें एवं दसवें भाव में विराजमान हो तो जातक को इसके शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। अगर जातक की कुंडली में केतु गुरु ग्रह के साथ युति बनाता है तो जातक इसके प्रभाव से राजा के सामान जीवनयापन करने में सक्षम बनता है। यदि यही युति मंगल के साथ केतु की हो तो जातक को यह साहस प्रदान करती है।
* पैर, कान, रीढ़ की हड्डी, घुटने, लिंग, किडनी, जोड़ों के दर्द आदि रोगों को ज्योतिष में केतु ग्रह के द्वारा दर्शाया जाता है।
* केतु के पीड़ित होने से जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है ऐसे व्यक्ति को केतु मणि जरूर धरन करने चाहिए
*जिस जातक की कुंडली में केतु अशुभ घर में बैठकर अशुभ फल दे रहे है ऐसे व्यक्ति को केतु मणि जरूर धरन करने चाहिए
आपको Jyotishhelp से आचार्य द्वारा अभिमंत्रित करके केतु मणि लॉकेट दिया जाएगा ताकि आपको इस रत्न के दोगुने और शीघ्र लाभ मिल सकें।
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